प्रशांत किशोर का बड़ा दावा : शिल्पी–गौतम मर्डर केस में सम्राट चौधरी संदिग्ध?
जन सुराज पार्टी के संयोजक प्रशांत किशोर ने सम्राट चौधरी पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि – “शिल्पी–गौतम मर्डर केस में कई लोग आरोपित थे। इस केस में सम्राट चौधरी का नाम भी सामने आया था। सीबीआई ने जांच की थी, लेकिन क्या कभी उनका डीएनए या सैंपल टेस्ट हुआ? आज भी इस केस में उनकी भूमिका संदिग्ध है।”

पटना, समय सत्ता न्यूज। बिहार की सियासत में एक बार फिर से शिल्पी–गौतम रेप और मर्डर केस चर्चा का केंद्र बन गया है। दो दशक पुराने इस हाई-प्रोफाइल केस ने एक बार फिर राजनीतिक हलचल तेज कर दी है। अब तक इस मामले में लालू प्रसाद यादव के साले साधु यादव का नाम प्रमुखता से सामने आता रहा था, लेकिन इस बार आरोपों की आंच सीधे बिहार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी तक जा पहुंची है।
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प्रशांत किशोर ने सम्राट चौधरी पर लगाए गंभीर आरोप
जन सुराज पार्टी के संयोजक प्रशांत किशोर ने सम्राट चौधरी पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि –
“शिल्पी–गौतम मर्डर केस में कई लोग आरोपित थे। इस केस में सम्राट चौधरी का नाम भी सामने आया था। सीबीआई ने जांच की थी, लेकिन क्या कभी उनका डीएनए या सैंपल टेस्ट हुआ? आज भी इस केस में उनकी भूमिका संदिग्ध है।”
कौन थीं शिल्पी जैन?
शिल्पी जैन उस दौर की मिस पटना रह चुकी थीं और पटना वीमेंस कॉलेज की प्रतिभाशाली छात्रा थीं। उनके पिता उज्ज्वल कुमार जैन शहर के नामी कपड़ा कारोबारी थे।
वहीं, गौतम सिंह एक एनआरआई परिवार से आते थे। उनके पिता ब्रिटेन में डॉक्टर थे और खुद गौतम की दिलचस्पी राजनीति में थी। वह राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) की युवा इकाई से जुड़े थे और कई सत्ताधारी नेताओं के करीबी माने जाते थे।
शिल्पी और गौतम की मुलाकात जल्द ही प्रेम संबंध में बदल गई, लेकिन यह रिश्ता एक रहस्यमय और खौफनाक अंत तक पहुंचा।
3 जुलाई 1999 की भयावह रात
3 जुलाई 1999 को पटना के एक सरकारी क्वार्टर के गैराज में खड़ी सफेद मारुति कार से शिल्पी और गौतम की अर्धनग्न लाशें बरामद हुईं। उस समय शिल्पी महज 23 साल की थीं।
यह हत्या उस वक्त बिहार की राजनीति का सबसे सनसनीखेज मामला बन गई। इसे बिहार के कुख्यात बॉबी हत्याकांड के बाद सबसे बड़ा पॉलिटिकल मर्डर मिस्ट्री माना गया।
25 साल बाद भी अनसुलझा सवाल
करीब ढाई दशक गुजर जाने के बाद भी शिल्पी–गौतम मर्डर केस आज भी रहस्य ही बना हुआ है। बिहार की राजनीति में यह केस हर बार चुनावी मौसम या बड़े राजनीतिक घटनाक्रमों के दौरान सामने आ जाता है।
अब प्रशांत किशोर द्वारा उठाए गए सवालों ने एक बार फिर इस अधूरी जांच और अधूरे इंसाफ को केंद्र में ला दिया है।
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खाते की भूमिका
यह लेख एडमिन द्वारा पोस्ट किया गया है, इस ब्लॉग में सामग्री पूरी तरह से विश्वसनीय है। प्रोफ़ाइल